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OMKARESHWAR TEMPLE (ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग): मध्य प्रदेश के अद्भुत शिव मंदिर का महत्व

OMKARESHWAR TEMPLE

OMKARESHWAR TEMPLE: भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों का अत्यधिक धार्मिक महत्व है, जो भगवान शिव के प्रमुख तीर्थ स्थल माने जाते हैं। इन ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख और प्रसिद्ध स्थल है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, जो मध्य प्रदेश राज्य के खंडवा जिले में स्थित है। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक प्रतिष्ठित है। ओंकारेश्वर शिव के उस रूप को सम्मानित करता है, जिसे ‘ओंकार’ (ॐ का प्रतीक) के रूप में पूजा जाता है। इस लेख में हम ओंकारेश्वर के धार्मिक महत्व, स्थल का इतिहास, और यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के अनुभवों पर चर्चा करेंगे।

OMKARESHWAR TEMPLE

OMKARESHWAR ओंकारेश्वर का धार्मिक महत्व

ओंकारेश्वर का नाम भगवान शिव के ‘ओंकार’ स्वरूप से जुड़ा हुआ है। ‘ओंकार’ वह पवित्र ध्वनि है जो ब्रह्मांड के संचार के रूप में मानी जाती है, और इसे हिन्दू धर्म में सर्वोत्तम शक्ति और चेतना का प्रतीक माना जाता है। ओंकारेश्वर शब्द का अर्थ है ‘जो ओंकार के स्वामी हैं’, और यह मंदिर ओंकार के स्वरूप को पूजा जाता है।

यहाँ भगवान शिव का शिवलिंग ओंकार के रूप में प्रतिष्ठित है, जो भारतीय धर्म दर्शन में एक विशेष स्थान रखता है। इस स्थल पर पूजा अर्चना करने से भक्तों को मानसिक शांति, मोक्ष की प्राप्ति, और आत्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। ओंकारेश्वर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है जहाँ भक्त गंगा-स्नान, दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए दूर-दूर से आते हैं।

ओंकारेश्वर का स्थान और भौगोलिक स्थिति

ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश राज्य के खंडवा जिले में स्थित है, जो नर्मदा नदी के किनारे पर बसा हुआ है। यह स्थल खंडवा शहर से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहाँ पहुंचने के लिए सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के एक द्वीप (मांधाता) पर स्थित है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।

यह स्थल ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ पर प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थल की उपस्थिति दर्शाती है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही एक प्रमुख तीर्थ स्थल रहा है। ओंकारेश्वर में एक अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि यहाँ दो प्रमुख शिवलिंग स्थित हैं: एक मुख्य मंदिर में और दूसरा नीचे स्थित ममलेश्वर मंदिर में।

OMKARESHWAR ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास

ओंकारेश्वर का मंदिर और यहाँ स्थित शिवलिंग का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा चिद्रसेन ने किया था, जो एक प्रसिद्ध चंद्रवंशी राजा थे। इसके बाद, यह स्थल कई शासकों के संरक्षण में रहा, जिनमें पाटलिपुत्र के सम्राट और मराठा शासक भी शामिल थे। ओंकारेश्वर के बारे में अनेक पुराणों में भी उल्लेख मिलता है, जिनमें इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बताया गया है।

महाभारत के अनुसार, जब पांडवों को वनवास मिला था, तब उन्होंने ओंकारेश्वर का दर्शन किया और भगवान शिव की पूजा की। इसके अलावा, स्कंद पुराण में भी ओंकारेश्वर का उल्लेख है, जहाँ इसे एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। इस मंदिर का नाम ‘ओंकारेश्वर’ इस बात को प्रमाणित करता है कि यह स्थल भगवान शिव के ओंकार स्वरूप की पूजा का केंद्र है।

OMKARESHWAR ओंकारेश्वर मंदिर की संरचना

ओंकारेश्वर मंदिर एक अत्यंत भव्य और आकर्षक संरचना है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है उसका विशाल शिवलिंग, जो ओंकार के रूप में प्रतिष्ठित है। मंदिर की वास्तुकला प्राचीन भारतीय शैली की है, जिसमें भव्य शिखर, सुंदर मूर्तियाँ और कारीगरी देखने को मिलती है। मंदिर के चारों ओर कई छोटे-छोटे मंदिर हैं, जिनमें भगवान शिव के विभिन्न रूपों की पूजा होती है।

मंदिर के प्रवेश द्वार के पास एक विशाल नंदी (शिव के वाहन) की मूर्ति स्थित है। यहाँ पर आने वाले श्रद्धालुओं को शिवलिंग का दर्शन करने के लिए एक विशेष प्रक्रिया का पालन करना होता है, जिसमें स्नान, पूजन और मंत्रोच्चारण शामिल हैं। मंदिर के भीतर की दीवारों पर भगवान शिव के विभिन्न रूपों की सुंदर चित्रकारी की गई है, जो उस समय की वास्तुकला और संस्कृति का प्रतीक हैं।

ओंकारेश्वर का स्नान और दर्शन

ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी के किनारे पर स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। नर्मदा नदी का पवित्र जल न केवल शरीर की शुद्धि करता है, बल्कि यह आत्मा की भी शुद्धि करता है। यहां पर श्रद्धालु नर्मदा में स्नान करने के बाद मंदिर में भगवान ओंकारेश्वर का दर्शन करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। ओंकारेश्वर के दर्शन के बाद श्रद्धालु प्रायः यहाँ के प्राचीन जल कुंडों में भी स्नान करते हैं, जिन्हें अत्यधिक पवित्र माना जाता है।

OMKARESHWAR ओंकारेश्वर की यात्रा के अनुभव

ओंकारेश्वर की यात्रा करने के बाद भक्तों को एक अद्भुत मानसिक शांति और आत्मिक संतुष्टि का अनुभव होता है। यहाँ के वातावरण में एक दिव्य और अलौकिक शक्ति का अहसास होता है, जो हर व्यक्ति को असीम शांति और आंतरिक शक्ति प्रदान करती है। भक्तों का कहना है कि ओंकारेश्वर में किए गए पूजन से सभी प्रकार के संकटों का निवारण होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

ओंकारेश्वर में प्रमुख त्योहार और मेले

ओंकारेश्वर में हर साल कई प्रमुख त्योहार और मेले आयोजित होते हैं, जो लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। इनमें महाशिवरात्रि का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन ओंकारेश्वर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है, और श्रद्धालु पूरे दिन उपवासी रहकर रात्रि जागरण करते हैं। इसके अलावा नववर्ष, माघ पूर्णिमा और नर्मदा जयंती जैसे अन्य त्योहार भी यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है, जहाँ भगवान शिव के ओंकार स्वरूप की पूजा होती है। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास का भी एक अमूल्य धरोहर है। यहाँ आने वाले भक्तों को न केवल धार्मिक लाभ मिलता है, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता और शांति का भी अनुभव होता है। ओंकारेश्वर की यात्रा जीवन को एक नई दिशा और संतुलन प्रदान करती है, जो भक्तों के दिलों में हमेशा एक विशिष्ट स्थान बनाए रखता है।

UJJAIN TO OMKARESHWAR MANDIR DISTANCE ?

145 KM

UJJAIN TO OMKARESHWAR REACHING TIME ?

3HR 33MINUTES BY ROAD

UJJAIN TO OMKARESHWAR DISTANCE ?

145 KM ( 3HR 33MINUTES )

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